Sachin Pilot (Biography in Hindi)

सचिन पायलट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक राजनेता है जो मनमोहन सिंह की दुसरी केबिनेट में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। आप राजस्थान के उपमुख्यमंत्री एवं राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। दो बार लोकसभा सांसद रहे तथा 2018 से राजस्थान के टोंक विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

sachin pilot

2004 के लोकसभा चुनाव में मात्र 26 वर्ष की उम्र में राजस्थान के दौसा लोकसभा क्षेत्र से सांसद बन कर आपने सबसे कम उम्र में संसद का सदस्य बनने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। 2009 के लोकसभा चुनाव में अजमेर से फिर संसद पहुंचे और मनमोहन सिंह जी की दूसरी कैबिनेट में कॉरपोरेट मामलों के मंत्री बने। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार सांवरमल जाट के हाथों अजमेर लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा।

शुरुआती जीवन व शिक्षा/Early Life and Education

सचिन पायलट का जन्म पूर्व कांग्रेस नेता राजेश पायलट (पिता) एवं रमा पायलट (माता) के यहां 7 सितंबर 1977 को हुआ। उनके पिता भारत के केंद्रीय मंत्री रह चुके है। इनका पैतृक गांव वैदपुरा, उत्तर प्रदेश के नोएडा में है।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इंडियन एयरफोर्स बाल भारती स्कूल से पुरी की एवं सेंट स्टीफेस कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए किया। IMT, गाजियाबाद से इन्होंने मार्केटिंग में डिप्लोमा लिया तथा अमेरिका से एमबीए किया। आपने बीबीसी के दिल्ली ब्यूरो और फिर अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निगम जनरल मोटर्स के साथ 2 वर्ष तक कार्य किया।

सचिन पायलट का विवाह है जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की बेटी सारा अब्दुल्ला के साथ 15 जनवरी 2004 को हुआ। उनके दो बेटे है जिनका नाम आरन और वेहान है।

सचिन पायलट ने अपनी बहन सारिका पायलट के साथ मिलकर अपने पिता के जीवन पर आधारित एक किताब लिखी जिसका नाम "राजेश पायलट: इन स्पिरिट फॉरएवर" है।

करियर/Career

2004 के लोकसभा चुनाव में सचिन पायलट राजस्थान के दौसा लोकसभा क्षेत्र से संसद पहुंचे उस समय उनकी उम्र मात्र 26 वर्ष थी। तथा उन्होंने सबसे कम उम्र में सांसद बनने का गौरव अपने नाम किया।

2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अजमेर लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार किरण माहेश्वरी को 76,596 वोटो के अंतर से हराया।

पायलट गृह मामलों की लोकसभा की स्थाई समिति के सदस्य और नागरिक उड्डयन मंत्रालय में सलाहकार समिति के सदस्य थे। 1212 में, वह मनमोहन सिंह के दूसरे मंत्रालय में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री बने।

2014 के लोकसभा चुनाव में वे फिर से अजमेर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े लेकिन बीजेपी के उम्मीदवार सांवरलाल जाट के हाथों उन्हें 1,71,983 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।

2014 में आपको राजस्थान की प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। तथा आप ही के नेतृत्व में 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिली एवं आप बीजेपी के उम्मीदवार यूनुस खान को 54,179 वोटो के अंतर से हराकर राजस्थान विधानसभा के सदस्य बने।

2013 के विधानसभा चुनाव में 200 में से मात्र 21 सीटों पर सिमट चुकी कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत तक ले जाने के लिए आपने जो कठिन परिश्रम और संघर्ष किया उसे देखते हुए आपको मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए था। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के आदेश के कारण आपको उप मुख्यमंत्री पद से संतुष्ट होना पड़ा तथा अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने।

जुलाई 2020 में उन्होन अशोक गहलोत के नेतृत्व से अपनी नाराजगी प्रकट की जिसके चलते केंद्रीय नेतृत्व ने उनको उपमुख्यमंत्री एवं राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया।

सियासी संकट/Political Crisis

12 जुलाई 2020 को राजस्थान के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके 18 सहयोगी विधायक जयपुर से दिल्ली गए और दावा किया कि उनके पास कुल 30 विधायकों का समर्थन है और वे राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिरा सकते हैं। गहलोत ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को स्थिति को संभालने के लिए बुलाया तथा उनकी सरकार को गिराने की कोशिश करने के लिए भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की। भाजपा नेताओं के अनुसार यह कांग्रेस पार्टी का आंतरिक मामला है और भाजपा इसके लिए जिम्मेदार नहीं है। साथ ही वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, अजय माकन और अविनाश पांडे अशोक गहलोत से मिलने जयपुर पहुंचे और उन्होंने रात करीब 9 बजे मुख्यमंत्री आवास पर बैठक की।

कांग्रेस विधायक दल ने अपने सभी विधायकों को मुख्यमंत्री आवास पर होने वाली बैठक में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया तथा उपस्थित न होने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी। इस बीच, सचिन पायलट ने फिर से कहा कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे। भाजपा के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस के पूर्व सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 13 जुलाई को उनसे उनके दिल्ली स्थित आवास पर मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अन्य नेताओं के साथ कांग्रेस विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव को लेकर बैठक की।

दूसरी ओर, सोशल मीडिया पर एक छोटी वीडियो क्लिप पोस्ट की गई, जिसमें दिखाया गया कि उनके सहित सचिन पायलट को कांग्रेस के 19 विधायकों और 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है।

सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री के पद की मांग की, क्योंकि 2018 के चुनावों के बाद अशोक गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बना दिया गया था जबकि चुनाव को जितने में सचिन पायलट का महत्त्वपूर्ण योगदान था। 14 जुलाई 2020 को सचिन पायलट को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के पद हटा दिया गया। उनके साथ उनके 2 विधायकों को मंत्री पद से हटा दिया गया।

Gehlot vs Pilot

राजस्थान भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कांग्रेस और अशोक गहलोत को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में एक युवा नेता चुनने की सलाह दी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सचिन पायलट बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं तो हम उनके लिए हमेशा तैयार हैं। इसी के साथ उन्होंने राजस्थान में फ्लोर टेस्ट की मांग की। केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे को इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए जयपुर भेजा। राजस्थान के नेताओं और राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि वे निकटता से स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और हम भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के संपर्क में हैं।
दूसरी ओर, सचिन पायलट ने राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दोनों के पद से हटाए जाने के बाद 15 जुलाई 2020 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया गया। बाद में, उन्हें राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी द्वारा विधानसभा से उनकी सदस्यता के विघटन के बारे में एक नोटिस भेजा गया था। ANI के साथ एक विशेष इंटरव्यू में सचिन पायलट ने कहा कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे। साथ ही वह इस मामले में वरिष्ठ वकीलों की भी मदद लेंगे। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लगातार भाजपा पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया लेकिन बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आरोपों का खण्डन करते हुए इसे कांग्रेस की आंतरिक कलह बताया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मीडिया से कहा कि अगर कोई नेता कांग्रेस छोड़ना चाहता है तो वह स्वतंत्र है हम उन्हें रोकने वाले नहीं हैं।

परिणाम/Outcome

उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नेतृत्व को सुनने से इनकार करने के बाद, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। उन्हें राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया।

सचिन पायलट का समर्थन कर रहे कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश चंद मीणा को भी मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने राजस्थान प्रदेश युवा कांग्रेस और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस सेवा दल के प्रदेश अध्यक्षों को भी बर्खास्त कर दिया।

इसी के साथ राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू करने के मुद्दे पर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच सियासी लड़ाई शुरू हो गई। राजस्थान सरकार अल्प सूचना पर सत्र बुलाना चाहती थी। लेकिन राज्यपाल चाहते थे कि सत्र शुरू होने से पहले कम से कम 21 दिन का नोटिस दिया जाए। हालांकि, 14 अगस्त 2020 को राजस्थान विधानसभा का सत्र बुलाने की अनुमति के साथ ही विवाद समाप्त हो गया। और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने विधायकों को जयपुर से जैसलमेर शिफ्ट करने का फैसला किया।

10 अगस्त को, घटना में काफी बदलाव आया, जब सचिन पायलट ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की। उसी दिन बागी विधायक भंवर लाल शर्मा जयपुर पहुंचे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की और आखिरकार राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दोनों धड़े फिर से एक हो गए।

14 अगस्त को अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार ने राजस्थान विधानसभा में ध्वनि मत से विश्वास मत हासिल किया। राजस्थान सरकार के सभी विधायक मौजूद थे, लेकिन बीजेपी के 73 विधायक मौजूद नहीं थे।

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