अशोक गहलोत का जीवन परिचय - कहानी राजस्थान की सियासत के जादूगर की

व्यक्तिगत परिचय

अशोक गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को राजस्थान के जोधपुर में एक क्षत्रिय परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम लक्ष्मण गहलोत था जो पेसे से एक जादूगर थे और अपने जादू के करतब दिखाने के लिए देशभर में घूमते थे। अशोक गहलोत विज्ञान और विधि में स्नातक है और उनके पास अर्थशास्त्र में m.a की डिग्री है। उनका विवाह सुनीता गहलोत के साथ हुआ। उनका एक बेटा एवं एक बेटी है। उनके बेटे वैभव गहलोत एक राजनेता है जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में जोधपुर से चुनाव लड़ा था।

अशोक गहलोत भारतीय राष्ट्र कांग्रेस के सदस्य है। वह महात्मा गांधी जी के विचारों से प्रभावित थे। 1971 पूर्वी बंगाली शरणार्थी संकट के दौरान उन्होंने भारत के पूर्वी राज्य में शरणार्थी शिविरों की सेवा की वहीं पर शरणार्थी शिविरों में यात्रा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनके संगठनात्मक कौशल की पहचान की। बाद में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ का पहला राज्य अध्यक्ष नियुक्त किया गया। गांधीवादी व्यक्ति होने के कारण वे सुबह सूर्योदय से पहले भोजन करते हैं, शाकाहारी रहना तथा शराब का सेवन ना करना जैसे गांधीजी के सिद्धांतों को अपनाते हैं।


राजनितिक करियर/Political Career 

अशोक गहलोत को राजस्थान की सियासत के जादूगर के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 1977 में राजस्थान विधान सभा के सरदारपुरा निर्वाचन क्षेत्र से अपना पहला चुनाव लड़ा और जनता पार्टी उम्मीदवार माधव सिंह से 4426 मतों के अंतर से हार गए। गहलोत को अपना पहला चुनाव लड़ने के लिए अपनी मोटरसाइकिल बेचनी पड़ी थी। 1980 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने जोधपुर से चुनाव लड़ा और 52,519 मतों के अंतर से जीत दर्ज की। 1984 में उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। 1989 में उन्हे जोधपुर से लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

1991 में जब कांग्रेस पार्टी फिर से सत्ता में लौटी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया। बाद मे 1993 में उन्हें फिर से गृह राज्य राजस्थान भेज दिया गया। 1998 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 200 में से 153 सीटे मिली तथा अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने।

2003 में, कांग्रेस राजस्थान विधानसभा का चुनाव हार गई और केवल 56 सीटें जीतीं। 2008 में राजस्थान विधान सभा चुनाव में कांग्रेस 4 सीटों से बहुमत से पीछे थी और गहलोत को अस्थिरता को रोकने के लिए मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। वह दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने।

2013 में, 200 सदस्यीय विधानसभा में केवल 21 सीटें जीतकर कांग्रेस को अपनी अब तक की सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा। गहलोत को 2013 में एआईसीसी महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। वह 2018 तक इस पद पर बने रहे और 2018 के राजस्थान विधान सभा चुनाव के बाद, जब कांग्रेस सत्ता में लौटी तो सचिन पायलट की मजबूत उम्मीदवारी के बावजूद उन्हें तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया, क्योंकि कांग्रेस के सबसे खराब दौर के बाद पुनरुद्धार में उनकी भूमिका थी। सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। जून 1989 से नवंबर 1989 तक अशोक गहलोत राजस्थान सरकार में गृह तथा जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मंत्री भी रहे।

केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य

अशोक गहलोत भारत के केंद्रीय मंत्री के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। वे इंदिरा गांधी समेत राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। इंदिरा गांधी की सरकार में अशोक गहलोत 2 सितंबर 1982 से 7 फरवरी 1984 तक पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री रहे। 7 फरवरी 1984 से 31 अक्टूबर 1984 तक खेल उपमंत्री रहे। उसके बाद उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया। 31 दिसंबर 1984 से 26 सितंबर 1985 तक केंद्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्हें कपड़ा राज्य मंत्री बनाया गया इस मंत्रालय का उन्हें स्वतंत्र प्रभार दिया गया। जिस पर उन्होंने 21 जून 1991 से 18 जनवरी 1993 तक कार्य किया

राजस्थान के मुख्यमंत्री के रुप मे कार्यकाल 

अशोक गहलोत तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पहली बार 1 दिसम्बर 1998 से 8 दिसंबर 2003 तक मुख्यमंत्री रहे। 13 दिसंबर 2008 को दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली तथा 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद 8 दिसंबर 2013 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को फिर से बहुमत मिली तथा अशोक गहलोत एक बार फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। वर्तमान में वे राजस्थान के पदस्थ मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने "पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ" का नारा दिया।

राजस्थान PCC के अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल

अशोक गहलोत तीन बार राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं। पहली बार 34 वर्ष की उम्र में ही वे पीसीसी के अध्यक्ष बन गए थे। उनका पहला कार्यकाल 1985 से 1989 के बीच में रहा। 1 दिसंबर 1994 से जून 1997 तक वे दूसरी बार पीसीसी के अध्यक्ष रहे। जून 1997 से 14 अप्रैल 1999 तक वे तीसरी बार पीसीसी के अध्यक्ष रहे। 1973 से 1982 के बीच गहलोत राजस्थान NSUI के अध्यक्ष रहे। 1982 में गहलोत राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव भी रहे थे।

सोशल मीडिया/Social Media 

अशोक गहलोत सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। वे सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी दैनिक दिनचर्या एवम् राजनिति से जुड़ी सूचनाएं शेयर करते हैं।

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निष्कर्ष/Conclusion 

नमस्कार दोस्तों, आज इस आर्टिकल में हमने राजस्थान के मुख्यमंत्री, अशोक गहलोत के बारे में जाना। आशा करता हूं की अशोक गहलोत से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध करा पाया। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें तथा अपने विचार नीचे कमेंट करके जरूर बताएं..... धन्यवाद।

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