पद्म भूषण - भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार

संक्षिप्त जानकारी/Brief Info 

पद्म भूषण, भारत रत्न और पद्म विभूषण के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है। पद्म भूषण के बाद  पदम श्री का स्थान आता है। इसकी स्थापना 2 जनवरी 1954 को की गई थी। यह पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा और उत्कृष्ट कार्य के लिए जाति, व्यवसाय, स्थिति, लिंग, जन्म स्थान आदि के भेदभाव के बिना दिया जाता है। यह पुरस्कार सरकारी कर्मचारियों की सेवा के लिए भी दिया जा सकता है। 2020 तक पद्म भूषण से 1270 व्यक्तियों को सम्मानित किया गया जिनमें 24 मरणोपरांत और 97 विदेशी शामिल है।

हर वर्ष प्रधानमंत्री के द्वारा "पदम पुरस्कार समिति" का गठन किया जाता है जिसे 1 मई से 15 सितंबर के बीच पुरस्कार के लिए सिफारिसे प्राप्त होती है। बाद में यह कमेटी अपनी सिफारिशें आगे की मंजूरी के लिए भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को प्रस्तुत करती है। पुरस्कार प्राप्त करने वालो की घोषणा हर वर्ष 26 जनवरी को की जाती है।

अन्य नागरिक पुरस्कारों के साथ पद्म भूषण को भी 1977 से 1980 और 1992 से 1995 तक 2 बार निलंबित कर दिया गया था। 2022 में 17 लोगों को पदम भूषण से सम्मानित किया गया। 

इतिहास/History 

2 जनवरी 1954 को भारत के राष्ट्रपति सचिव के कार्यालय से 2 नागरिक पुरस्कारों, भारत रत्न तथा पद्म विभूषण की घोषणा करते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई। पदम विभूषण को 3 वर्गों, "पहला वर्ग", "दूसरा वर्ग" और "तीसरा वर्ग" में विभाजित किया गया। 15 जनवरी 1955 को पद्म विभूषण को तीन अलग-अलग पुरस्कारों में विभक्त कर दिया गया; पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री। पद्म विभूषण सबसे बड़ा पद्म पुरस्कार बना वही पद्म भूषण दूसरा सबसे बड़ा पद्म पुरस्कार बना। अर्थात भारत रत्न और पद्म विभूषण के बाद, पदम भूषण भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है।

नागरिक पुरस्कारों को अभी तक दो बार निलंबित किया जा चुका है। पहली बार 1977 में जब मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री थे। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 25 जनवरी 1980 को पुरस्कारों को फिर से बहाल कर दिया गया। दूसरी बार 1992 में जब भारत के उच्च न्यायालय में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई थी जिनमें संविधान के अनुच्छेद 18(1) के अनुसार नागरिक पुरस्कारों को "शीर्षक" होने पर सवाल उठाया गया था। बाद में 15 दिसंबर 1995 को सर्वोच्च न्यायालय की विशेष खंडपीठ ने पुरस्कारों को फिर से बहाल किया और एक निर्णय दिया कि "भारत रत्न और पद्म पुरस्कार भारत के संविधान के अनुच्छेद 18 के तहत खिताब नहीं है"।

नियम/Regulations 

पद्म भूषण जाति, व्यवसाय, लिंग, स्थिति, जन्म स्थान आदि किसी के भेदभाव के बिना असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए प्रधान किया जाता है। सरकारी कर्मचारियों की सेवा के लिए भी यह पुरस्कार दिया जा सकता है। शुरुआत में पुरस्कार को मरणोपरांत देने की अनुमति नहीं थी लेकिन बाद में जनवरी 1955 में कानून में संशोधन किया गया और पुरस्कार को मरणोपरांत दिए जाने की अनुमति मिली। डी सी किझाकेमुरी को 1999 में पहली बार मरण उपरांत इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सिफारिशें सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों, भारत सरकार के मंत्रालयो, भारत रत्न और पद्म विभूषण पुरस्कार विजेताओं, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और राज्य के राज्यपालो एवम् किसी व्यक्ति के द्वारा भारत के प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई "पदम पुरस्कार समिति" को हर वर्ष 1 मई से 15 सितंबर तक यह याचिकाएं प्राप्त होती है। पुरस्कार समिति बाद में आगे की मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री और भारत के राष्ट्रपति को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करती है।

पद्म भूषण पुरस्कार प्राप्तकर्ताओ की घोषणा हर साल भारत के गणतंत्र दिवस(26 जनवरी) पर की जाती है और भारत के राजपत्र में पंजीकृत किया जाता है। राजपत्र, प्रकाशन विभाग एवम् शहरी विकास मंत्रालय द्वारा साप्ताहिक रूप से जारी किया जाने वाला एक प्रकाशन है जिसका उपयोग आधिकारिक सरकारी सूचनाओं के लिए किया जाता है। राजपत्र में प्रकाशन के बिना पुरस्कार को आधिकारिक नहीं माना जाता। किसी भी व्यक्ति के पुरस्कार को रद्द या बहाल करने के लिए राष्ट्रपति के अधिकार की आवश्यकता होती है। यदि किसी व्यक्ति का नाम रजिस्टर से हटा दिया जाता है तो उन्हें अपने पदक लौटाने पड़ते हैं।

पदक/Medal 🥇

1954 का पदक 35 मिलिमीटर व्यास का चांदी से बना एक गोलाकार पदक था। पदक के अगले भाग पर केंद्र में कमल का फूल उभरा हुआ था तथा उसके ऊपर देवनागरी लिपि में "पदम भूषण" लिखा हुआ था। तथा पदक की दूसरी तरफ भारत का राष्ट्रीय चिन्ह "अशोक स्तंभ" था अशोक स्तंभ के नीचे देवनागरी लिपि में "देश सेवा" लिखा हुआ था। पदक को 32 मिलीमीटर वाले गुलाबी रिबन से लटकाया जाता था जो दो सफेद रेखाओ द्वारा तीन समान खंडों में विभाजित था।

1955 में डिजाइन को फिर से संशोधित किया गया। वर्तमान सजावट एक गोलाकार कांस्य पदक है जिसका व्यास 44 मिलीमीटर और यह 3.2 मिलीमीटर मोटा है। पदक के आगे के भाग पर कमल का फूल उभरा हुआ है जिसके ऊपर देवनागरी लिपि में "पदम" एवं नीचे देवनागरी लिपि में "भूषण" लिखा हुआ है।

पदक के दूसरी तरफ भारत का राष्ट्रीय चिन्ह "अशोक स्तंभ" अंकित है जिसके नीचे देवनागरी लिपि में "सत्यमेव जयते" अर्थात् सत्य की जीत हो लिखा हुआ है। पदक 32 मिलीमीटर चौड़ाई वाले गुलाबी रिबन से लटका होता है जिसके बीच में एक चोड़ी सफेद पट्टी होती है।

पदक को वरीयता क्रम में पांचवे स्थान पर रखा गया है। भारत रत्न पद, पद्म विभूषण, पदम श्री और परमवीर चक्र जैसे अन्य नागरिक और सैन्य पुरस्कार के साथ पदम भूषण का पदक भी कोलकाता की अलीपुर टकसाल में बनता है।

प्राप्तकर्ता/Recipients 

स्थापना के पहले वर्ष में 23 व्यक्तियों को पदम भूषण से सम्मानित किया गया। 2020 तक इस पुरस्कार से कुल 1270 व्यक्तियों को सम्मानित किया जा चुका है जिनमें से 24 मरणोपरांत और 97 विदेशी नागरिक सामिल है। 2022 में 17 लोगों को पदम भूषण से सम्मानित किया गया।

नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप विकिपीडिया के माध्यम से अभी तक के सभी पद्म भूषण प्राप्तकर्ताओ के बारे में जान सकते हैं।


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निष्कर्ष/Conclusion 

नमस्कार दोस्तों, आज इस आर्टिकल में हमने भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार "पद्म भूषण" के बारे में जाना। हमने पद्म भूषण के इतिहास, इसके नियम, इसके पदक तथा प्राप्तकर्ताओ के बारे में जाना। आशा करता हूं कि पद्म भूषण से जुड़ी सारी जानकारियां उपलब्ध करा पाया। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें एवं अपनी राय कमेंट करके जरूर बताएं..... धन्यवाद!

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