रामानंद सागर का जीवन परिचय

व्यक्तिगत जीवन/Personal Life 

रामानंद सागर का जन्म 29 दिसम्बर 1917 को लाहौर मे हुआ। उनके परदादा लाला शंकर दास चोपड़ा लाहौर से कश्मीर चले गए। रामानंद सागर को उनकी नानी ने गोद लिया था जिनके कोई पुत्र नहीं था। गोद लिए जाने के बाद उनका नाम "चंद्रमौली चोपड़ा" से बदलकर "रामानंद सागर" कर दिया गया। रामानंद सागर ने दिन में चपरासी, ट्रक क्लीनर, साबुन बेचने वाला आदि का काम किया और रात में डिग्री के लिए पढ़ाई की।

1942 में, उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से संस्कृत और फारसी में स्वर्ण पदक जीता। वह डेली मिलाप नामक अखबार के संस्थापक थे। उन्होने रामानंद चोपड़ा रामानंद बेदी और रामानंद कश्मीरी जैसे नमो से कई लघु कथाएं उपन्यास कविताएं नाटक आदि लिखे।

रामानंद सागर का विवाह लीलावती से हुवा जिनसे उनके चार बेटे (आनंद सागर, प्रेम सागर, मोती सागर और सुभाष सागर) एवम् एक बेटी (सरिता सागर) है।

सन 2000 में, भारत सरकार ने रामानंद सागर को पद्म श्री से सम्मानित किया। 12 दिसंबर 2005 को स्वास्थ्य समस्याओं के चलते 88 वर्ष की उम्र में मुंबई में अपने घर पर उनका देहांत हो गया।

करियर/Career 

1932 में, सागर ने एक मूक फिल्म, रेडर्स ऑफ़ द रेल रोड में एक क्लैपर बॉय के रूप में अपना फ़िल्मी करियर शुरू किया। फिर 1949 में भारत के विभाजन के बाद वे बंबई चले गए।

1940 के दशक में, रामानन्द सागर ने पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर में एक सहायक मंच प्रबंधक के रूप में शुरुआत की। उन्होंने कपूर के पिता के मार्गदर्शन में कुछ नाटकों का निर्देशन भी किया।

अन्य फिल्मों के साथ जिनका निर्देशन सागर ने स्वयं किया, उन्होंने राज कपूर की सुपरहिट बरसात के लिए कहानी लिखी। उन्होंने 1950 में सागर फिल्म्स (प्राइवेट लिमिटेड) उर्फ ​​सागर आर्ट्स के नाम से जानी जाने वाली फिल्म और टेलीविजन प्रोडक्शन कंपनी की स्थापना की। उन्होंने बाज़ूबंद और महमान का निर्माण और निर्देशन किया जो सफल नहीं रही।

पैघम के लिए उन्होंने 1960 का फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ संवाद पुरस्कार जीता, जिसे एस.एस. वासन ने निर्देशित किया था और इसमें दिलीप कुमार, वैजयंतीमाला और राज कुमार ने अभिनय किया था।

उनके सफल निर्देशकीय उपक्रमों में घूँघट और आरज़ू शामिल हैं जो 1960 और 1965 में ब्लॉकबस्टर बन गईं थीं। 1964 में उन्होंने राजेंद्र कुमार, वैजयंतीमाला, पृथ्वीराज कपूर और राज कुमार अभिनीत क्लासिक 'जिंदगी' का निर्देशन किया। 1968 में उन्होंने आंखें के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। आंखें धर्मेंद्र और माला सिन्हा अभिनीत एक स्पाई-थ्रिलर थी। यह 1968 की शीर्ष 10 हिंदी फिल्मों में से एक थी। 1970 के दशक की शुरुआत में उनकी फिल्में गीत और ललकार की तरह सफल नहीं रहीं। 1976 में, उन्होंने धर्मेंद्र और हेमा मालिनी अभिनीत चरस का निर्देशन किया, जो उस वर्ष के शीर्ष पांच ग्रॉसर्स में से एक थी। 1979 में, राजेश खन्ना, रेखा और मौसमी चटर्जी अभिनीत उनका निर्देशन उद्यम 'प्रेम बंधन' रूप से सफल रहा, जो उस वर्ष की छठी सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बन गई। 1982 में, उन्होंने धर्मेंद्र, हेमा मालिनी और रीना रॉय अभिनीत भागवत का निर्देशन किया जो एक बड़ी हिट साबित हुई।

1985 में उन्होंने 'सलमा' का निर्देशन किया जो बॉक्स ऑफिस पर असफल रही और हालांकि फिल्म रोमांस का संगीत लोकप्रिय था, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई।

1985 में सागर ने दादा दादी की कहानियां के साथ टेलीविजन की ओर रुख किया, जिसे मोती सागर द्वारा निर्देशित और रामानंद सागर द्वारा निर्मित किया गया था। फिर उनकी सागर आर्ट्स ने भारतीय इतिहास पर आधारित धारावाहिकों का निर्माण शुरू किया। उनके निर्देशन में बनी "रामायण" का पहला एपिसोड 25 जनवरी 1987 को प्रसारित हुआ। उनके अगले टेली-धारावाहिक "कृष्णा" और "लव कुश" थे जो उनके द्वारा निर्मित और निर्देशित थे। उन्होंने बाद में "साईं बाबा" को भी निर्देशित किया। सागर ने "विक्रम और बेताल" और "अलिफ लैला" जैसे धारावाहिक भी बनाए।

रामायण श्रृंखला को शुरू में प्रत्येक 45 मिनट के 52 एपिसोड चलाने के लिए संकल्पित किया गया था। लोगो की मांग के कारण इसे तीन बार बढ़ाया जाना था, अंततः 78 एपिसोड के बाद समाप्त हो गया। पीएमओ से फोन आने के बाद सागर ने "लव- कुश" एपिसोड बनाया।

भारत-पाक विभाजन के अपने अनुभवों के आधार पर, सागर ने 1948 में हिंदी-उर्दू पुस्तक "और इंसान मार गया" प्रकाशित किया।

भारत सरकार ने 2000 में सागर को पद्म श्री से सम्मानित किया। सागर का 12 दिसंबर 2005 को स्वास्थ्य समस्याओं के चलते मुंबई में अपने घर पर 88 वर्ष की आयु में देहान्त हो गया।

दिसंबर 2019 में, उनके बेटे प्रेम सागर ने उनके जीवन पर एक किताब "एन एपिक लाइफ: रामानंद सागर, फ्रॉम बरसात टू रामायण" लॉन्च की । यह किताब रामानंद सागर की जीवनी है जिसमें उनके जीवन संघर्ष और एक क्लर्क से अब तक के सबसे महान फिल्म निर्माताओं में से एक तक की उनकी यात्रा को दर्शाया गया है।

पुरस्कार/Award 

रामानंद सागर को सिनेमा में उनके योगदान के लिए सन 2000 में भारत सरकार से द्वारा भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया। 1960 मे, उन्हें पेघम फिल्म के लिए बेस्ट डायलॉग और 1969 में आंखे फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।

इसके अलावा उन्हें 1960 मे, आरजू फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ कहानी एवं सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और 1969 में आंखें फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ कहानी के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए मनोनीत किया गया था।

फिल्मोग्राफी/Filmography 

रामानंद सागर ने कई फिल्मो एवं टीवी धारावाहिको का निर्माण किया है जिनमें रामायण, श्री कृष्णा जैसे टीवी धारावाहिक तथा आंखें, आरजू, बेगम और बरसात जैसी फ़िल्में शामिल है। अपने कार्य के लिए वे दो बार फिल्म फेयर अवार्ड से भी सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें रामायण धारावाहिक से काफी लोकप्रियता मिली जिसमें अरुण गोविल ने भगवान श्रीराम का किरदार निभाया था। 

यहां पर क्लिक करके आप Wikipedia के माध्यम से रामानंद सागर के द्वारा निर्मित सभी फिल्मो एवं टीवी धारावाहिको के बारे में जान सकते हैं👉 https://en.wikipedia.org/wiki/Ramanand_Sagar#Filmography

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निष्कर्ष/Conclusion 

नमस्कार दोस्तो, आज इस आर्टिकल में हमने रामायण धारावाहिक के निर्माणकर्ता श्री रामानंद सागर जी के बारे में जाना। आशा करता हूं कि रामानंद सागर जी से जुड़े सभी जानकारियां उपलब्ध करा पाया। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया तो अपने दोस्तों के साथ इसे जरूर शेयर करें तथा अपनी राय कमेंट करके जरूर बताएं.... धन्यवाद।

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